सहर-एक नयी सुबह

कुछ बातें ऐसी भी होंती हैं जिसे आप ज़माने वालों को बताना चाहते हैं पैर कभी कभी आप कह नहीं सकते....मुझे ऐसा लगता है इस से बढ़िया तरीका कोई नहीं हो सकता है...कहीं इस से किसी का कुछ भला हो सके....
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सहर-एक नयी सुबह

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Thursday, January 20, 2011

अंतिम शब्द........

तुम सोना स्वप्निल नींदों में..

वो श्याह संजोता रहेगा..

सुकून तेरे दामन में सदा रहे..

दिल से वो दुआ करेगा..

तुम ज़माने के गीत सुनना गुनगुनाना..

वो तो विरह राग गाता चला जायेगा..

तुम राजमहल की रानी हो..

वो धूल उड़ाता जायेगा..

क्या खोकर तुमको पाया था..

कोई न ये समझ पायेगा..

रोको न अब इन कदमों को..

जब निकले हो तो चले जाओ..

कांटें न मिले राहों में कभी..

वो खुद को बिछाता जायेगा..

बस एक ख्वाब पूरा न हुआ..

शायद अब पूरा भी न हो..

मरने से पहले वो तेरे..

एक अश्रुबून्द को तरसेगा..

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2 comments:

Neeraj Nayan Jha said...
This comment has been removed by the author.
Neeraj Nayan Jha said...

Ye sunapan jag bhi jaane, her raat sawera hota hain.tum kehte nahi hotho se to kya... per yaar ye pyar her kisi ko hota hain. Samandar ki lahre thahar jaye agar to sunsaan basera hota hain. Her raat savera hota hain.