सहर-एक नयी सुबह

कुछ बातें ऐसी भी होंती हैं जिसे आप ज़माने वालों को बताना चाहते हैं पैर कभी कभी आप कह नहीं सकते....मुझे ऐसा लगता है इस से बढ़िया तरीका कोई नहीं हो सकता है...कहीं इस से किसी का कुछ भला हो सके....
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सहर-एक नयी सुबह

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Saturday, January 8, 2011

khamoshi

खामोश नज़रें...

चुप सी ज़ुबान.....

हम थे तुम्हारे पास बैठे...

एक शहनाई सी बज रही थी...

उन ख्वाबों की दास्तान भी बड़ी अजीब थी.

आज भी उस की खुश्बू मेरी साँसों में घुली है...

जो उन धड़कनों के पास थी...

अब तुम ना हो...

ना ही वो सपने हैं....

फिर भी क्यूँ अब भी लगता है...

जैसे कल की ही ये बातें हैं...

जब हम पहली बार मिले थे...

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