सहर-एक नयी सुबह

कुछ बातें ऐसी भी होंती हैं जिसे आप ज़माने वालों को बताना चाहते हैं पैर कभी कभी आप कह नहीं सकते....मुझे ऐसा लगता है इस से बढ़िया तरीका कोई नहीं हो सकता है...कहीं इस से किसी का कुछ भला हो सके....
Powered By Blogger

सहर-एक नयी सुबह

Search This Blog

Saturday, October 11, 2008

अलविदा

बहुत याद आती है वो शाम-ऐ -अलविदा

जब कहीं घुँघरू बजे,जब कहीं पायल बजे
जब कहीं कोयल कूके, जब कहीं पपीहा बोले
जब धारा गगन से मिले,जब पवन बदल में घुले
याद आती है वो शाम-ऐ-अलविदा

जब कोई वफ़ा-ऐ-दास्ताँ कहे
जब कोई कहीं दिल मिले,जब कहीं कोई गुल खिले
जब गाये भौरा रागिनी, जब चिटके कहीं चाँदनी
याद आती है वो शाम-ऐ-अलविदा

जब चले पुरवाईयाँ, जब मिले तन्हाईयाँ
जब करे कोई दिल बात,जब मिले दिल-ऐ-अघात
जब कोई परदे में रहे और हो जाए रुसवाईयां
याद आती है वो शाम-ऐ-अलविदा