वो तुम्हारी पहली मुस्कान..
वो हमारी पहली पहचान..
तुम से मिलने दिल का बहकना..
बमुश्किल दिल को मेरा थामना..
भरी धूप में वो छांव का एहसास..
पुनः मिलने की अधबुझी प्यास..
बारिश की बूंदों का मोतियों सा दिखना..
तेरी भींगी लटें और मेरा बहकना..
वो रात भर की बातें सहर का इंतज़ार..
कुछ पल को ही सही तड़पना बेक़रार..
सुबह से पहले सुनना तेरी आवाज़..
निगाहों में दिखाना वो परवाज़..
'ये तो होना ही था' तुम्हारा कहना..
मेरा ठिठकना और आगे निकलना..
आँखों से सुनना वो आँखों की बातें..
वो बारिश की शाम और वो मुलाकातें..
हाथों को थाम उन गलियों से गुजरना..
रूठना मानना लड़ना झगड़ना..
'नच के तू आएगा' तेरा वो कहना..
मेरा इन बातों को सच साबित करना..
तेरा कहाँ वो तीन चमत्कारी शब्द..
अब भी गुनते हैं कानों में..
तेरे बगैर निशब्द...
तेरे बगैर निशब्द..
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