सहर-एक नयी सुबह

कुछ बातें ऐसी भी होंती हैं जिसे आप ज़माने वालों को बताना चाहते हैं पैर कभी कभी आप कह नहीं सकते....मुझे ऐसा लगता है इस से बढ़िया तरीका कोई नहीं हो सकता है...कहीं इस से किसी का कुछ भला हो सके....
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सहर-एक नयी सुबह

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Wednesday, March 24, 2010

तेरी याद......

कल तेरी याद बहुत बीमार सी मुझे लगी बड़ी,
कल सारी रात मेरे माथे पे रही एक बल पड़ी;


बर्फ सी ठंडी चाँदनी से एक एक बूंद सांत्वना दिया,
इतनी ढंडी थी वो याद कि बर्फ सी बनी रही पड़ी;

अथक प्रयास किया उसे फिर से जीवित कर सकूं,
पौ फटने तक वो बस दिल में चुप सी बठी रही;

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