कल तेरी याद बहुत बीमार सी मुझे लगी बड़ी,
कल सारी रात मेरे माथे पे रही एक बल पड़ी;
बर्फ सी ठंडी चाँदनी से एक एक बूंद सांत्वना दिया,
इतनी ढंडी थी वो याद कि बर्फ सी बनी रही पड़ी;
अथक प्रयास किया उसे फिर से जीवित कर सकूं,
पौ फटने तक वो बस दिल में चुप सी बठी रही;
Wednesday, March 24, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment